हिटलरितन्त्र

HITLAR-POEM सच को छुपाते है फिर भी मुस्कुराते है हम भी सब जानते है पूरा सच पहचानते है कब तक सच छुपाओगे एक दिन रँगे हाथो पकड़े जाओगे ...
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