राम प्रसाद बिस्मिल की कविताएं
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Ram Prasad Bismil |
महसूस हो रहे है बादे फना के झोंके।
खुलने लगे है मुझ पर असरार जिंदगी के।।
बारे अलम उठाया रंगे निशात देखा।
आये नही है यूँही अंदाज बेहिसी के।।
वफ़ा पर दिल को सदके जान को नजरे दफा कर दे।
मुहब्बत में यह लाजिम है कि जो कुछ हो फिदा कर दे।।
अब तो यही इच्छा है कि-
बहे बहरे फना में जल्द या रब लाश बिस्मिल की।
कि भूखी मछलियां है जौहरे शमशीर क़ातिल की।।
समझकर फूंकना इसको जरा ऐ दागे नाकामी।
बहुत से घर भी है आबाद इस उजड़े हुए दिल से।।
✍
-राम प्रसाद बिस्मिल
शब्दों के अर्थ:-
महसूस करना-अनुभव करनाबादे-हवा
फना-मौत
असरार-रहस्य
बारे-बोझ
अलम-गम
रंगे निशात-आनंद का रंग
अंदाज-पता चल जाना
बेहिसी-अंदर से सुनन पड़ जाना
नजर जफा करना-तेरे जुल्म पर मैं अपनी बलि देता हूं
बहरे-सागर
जौहरे शमशीर-तलवार की वीरता
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