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HITLAR-POEM |
सच को छुपाते है फिर भी मुस्कुराते है
हम भी सब जानते है पूरा सच पहचानते है
कब तक सच छुपाओगे
एक दिन रँगे हाथो पकड़े जाओगे
किसी को क्या मुँह दिखाओगे
फिर खाली हाथ पछताओगे
जनाब यह लोकतंत्र है हमारा
यहां हिटलरितन्त्र नही चल पाएगा
कब तक जनता को बहकाओगे
झूट को सच बताते जाओगे
साहब पत्रकारों को हटाने जाते है
ओर फिर खुद को ईमानदार बताते है
सच को छुपाते है फिर भी मुस्कुराते है
हम भी सब जानते है पूरा सच पहचानते है
✍
आज़ाद
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