सियासत

सियासत गरीब है धर्म के बहुत करीब है जनता को बहकाती है रोज हत्याएं करके सो जाती है रोजगार माँगना अब ग़ुनाह हो गया है सही को मत पहचान...
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नकाब

यहाँ चेहरों पर है नकाब सभी के सभी ने छुपाया है खुद को सभी से कहने को कहते है अपने हो तुम तो फिर क्यों नही बतलाते बहुत कुछ उसे से? ...
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