सियासत




सियासत गरीब है धर्म के बहुत करीब है
जनता को बहकाती है रोज हत्याएं करके सो जाती है

रोजगार माँगना अब ग़ुनाह हो गया है
सही को मत पहचानो यह धर्म हो गया है
लाखों बेरोजगारों की भीड़ न्यूज़ में दिखाई नही जाती है
लेकिन मठाधीशो व मौलवियों की लड़ाई रोज न्यूज़ में आती है

सियासत  गरीब है धर्म के बहुत करीब है
जनता को बहकाती है रोज हत्याएं करके सो जाती है

गरीबी व अमीरी में बढ़ रहा अन्तर बेमोल है
अम्बानी व अडानी की सम्पत्ति में बहुत बड़ा झोल है
साहब क्या गरीब की याद बस वोट के समय आती है?
क्योंकि धन्नासेठों के घर तो सरकार रोज जाती है

सियासत  गरीब है धर्म के बहुत करीब है
जनता को बहकाती है रोज हत्याएं करके सो जाती है

किसान व मजदूर हो रहा बदहाल है
साहब बोलते है यह विपक्ष की चाल है
किसानों की कर्जमाफी से सरकार पीछे हट जाती है
लेकिन दुर्भाग्य,अमीरो को यहाँ कर्ज में रियायत दी जाती है

सियासत  गरीब है धर्म के बहुत करीब है
जनता को बहकाती है रोज हत्याएं करके सो जाती है

कल अख़लाक़ मरा था आज अकबर मरा है कल कोई ओर मारा जाएगा
क्यो साहब इन हत्याओं पर कभी मन की बात नही आती है
सरकार खुद को धर्मनिरपेक्ष चिल्ला-चिल्ला कर बताती है
लेकिन धर्म के नाम पर रोज हत्याएं करायी जाती है

सियासत  गरीब है धर्म के बहुत करीब है
जनता को बहकाती है रोज हत्याएं करके सो जाती है

                    ✍
                'आज़ाद'
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